आचार संहिता क्या है? इसके नियम और सजा के क्या प्रावधान हैं? जानें सब कुछ

चुनाव आते ही चाहे वो लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का, एक शब्द बार बार सुनने में आता है और वो है आचार संहिता. क्या है ये आचार संहिता और क्यों इसकी आवश्यकता पड़ी? कौन कौन इसके दायरे में आते हैं? इसके उल्लंघन पर क्या सजा है? इन सभी बातों का उत्तर आज यहाँ आपको मिलेगा वो भी आसान भाषा में!

आचार संहिता क्या है?

आचार संहिता एक नियमावली है जोकि चुनाव के दौरान नेताओं व पार्टियों के कार्यों पर नियंत्रण रखती है, जिसके उल्लंघन पर उन्हें सजा या अन्य दंड दिया जा सकता है.

जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि आचार संहिता अर्थात आचार का अर्थ है आचरण और संहिता नियमों को सम्बोधित करती है. चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों को कैसा आचरण करना है यह सब इस संहिता में निहित है. चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार संहिता 8 भागों में निहित है.

भाग 1: सामान्य आचरण

  1. कोई भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल इस प्रकार की गतिविधि नहीं करेगा जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ाने या विभिन्न जातियों व धर्मों के लोगों के बीच आपसी तनाव पैदा कर सके.
  2. जब कोई भी नेता या पार्टी अन्य पार्टी या नेता की आलोचना करती है तो वो उनके कार्यों व नीतियों की ही आलोचना कर सकते हैं. उनके निजी जीवन पर टिप्पणी या उसके आधार पर आलोचना करना वर्जित है.
  3. वोट हासिल करने के लिए जातिगत या सांप्रदायिक भावनाओं पर कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी. मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों या अन्य पूजा स्थलों को चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
  4. भ्र्ष्टाचार से सम्बंधित किसी भी गतिविधियों (जैसे वोटरों को रिश्वत देना) में शामिल न हों. वोटरों को डराना, उनका मत बदलाव, पोलिंग बूथ के 100 मीटर तक कोई भी पंडाल आदि लगाना तथा वोटिंग के अंत समय के 48 घण्टे पूर्व से वोटिंग के अंत तक जनसभा को सम्बोधित करना वर्जित है. यहाँ तक कि वोटर को मतदान केंद्र तक ले जाने के लिए वाहन सुविधा उपलब्ध कराना भी वर्जित है.
  5. अपने विचारों या गतिविधियों के खिलाफ प्रदर्शन के माध्यम से व्यक्तियों के घरों के सामने प्रदर्शन या धरना आयोजित करना किसी भी परिस्थिति में मान्य नहीं होगा.
  6. किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को या उनके अनुयायियों को किसी भी व्यक्ति की भूमि, भवन, दीवार आदि का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी, बैनर निलंबित करने, नोटिस चिपकाने, नारे लिखने आदि अनुमति के बिना निषेध है.
  7. एक पार्टी के लोग दूसरी पार्टी की सभाओं में बाधा उत्पन्न नहीं करेंगे. दूसरी पार्टियों के पोस्टर भी एक पार्टी नहीं हटवा सकती.

भाग 2: सभाएं

  1. पार्टी या उम्मीदवार किसी प्रस्तावित बैठक के स्थान व समय के बारे में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को सूचित करेंगे ताकि पुलिस को यातायात को नियंत्रित करने और शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम ले सके.
  2. किसी पार्टी या उम्मीदवार को अग्रिम में पता चल जाएगा कि बैठक के लिए प्रस्तावित जगह में कोई प्रतिबंधात्मक या निषेधात्मक आदेश है अगर इस तरह के आदेश हैं, तो उनका कड़ाई से पालन किया जाएगा.
  3. यदि किसी प्रस्तावित बैठक के संबंध में लाउडस्पीकर या किसी अन्य सुविधा के उपयोग के लिए अनुमति या लाइसेंस प्राप्त करना है, तो पार्टी या उम्मीदवार संबंधित प्राधिकारी को पहले से आवेदन करेंगे और ऐसी अनुमति या लाइसेंस प्राप्त करेंगे.
  4. बैठक के आयोजक, बैठक में गड़बड़ी करने वाले व्यक्तियों से निपटने के लिए या अव्यवस्था का प्रयास करने पर पुलिस की सहायता की मांग करेंगे. आयोजक स्वयं ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे.

भाग 3: रैलियां

  1. यह पहले से तय होना चाहिए कि रैली या जुलूस कब और कहाँ से प्रारंभ होगा और कहां और किस समय अंत होगा.
  2. आयोजकों को कार्यक्रम की सूचना स्थानीय पुलिस को देनी आवश्यक है.
  3. अगर उस स्थान पर कोई प्रतिबंधात्मक निर्देश जारी है तो उसका पालन आवश्यक है.
  4. सड़क नियमों व पुलिस की सलाह व निर्देश माने जानी चाहिए.
  5. यदि दो या दो से अधिक राजनीतिक दल या उम्मीदवार एक ही समय में एक ही मार्ग या भागों पर रैली निकालने का प्रस्ताव करते हैं, तो आयोजक आपस में पहले से संपर्क स्थापित कर लें और यह देखा जाना आवश्यक है कि जुलूस क्लैश न करें या यातायात में बाधा न बनें. अन्य व्यवस्था बनाने में पुलिस सहायता ली जानी चाहिए.
  6. ऐसे स्लोगन या बैनर न लेकर चलें जिनसे किसी वर्ग या जाति धर्म को ठेस पहुँचे.
  7. अन्य राजनीतिक दलों के सदस्यों या उनके नेताओं के पुतले ले जाना और सार्वजनिक रूप से जलाना वर्जित है.

भाग 4: मतदान का दिन

सभी पार्टियों व उम्मीदवारों को नीचे लिखी बातों का पालन मतदान के दिन करना आवश्यक है:

  1. शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए मतदान अधिकारियों का सहयोग व वोटरों को उनके वोट डालने की स्वतंत्रता में बाधा उत्पन्न न करें
  2. अपने मतदान केंद्र प्रतिनिधि को पहचान पत्र के साथ भेजें
  3. यह स्वीकारें कि मतदाता को जो पर्ची दी जाती है (जिसे लेकर मतदान केंद्र में प्रवेश करना होता है) उस पर किसी भी पार्टी का चिन्ह या उम्मीदवार का नाम नहीं लिखा है.
  4. मतदान के दिन और पिछले 48 घंटे के दौरान शराब न परोसी जाय.
  5. पार्टी कैम्प व मतदान केंद्र के आस पास अनावश्यक भीड़ जमा न हो.
  6. उम्मीदवार का कैम्प सामान्य हो, कोई बैनर, चिन्ह या खाद्य सामग्री न हो.
  7. मतदान के दिन वाहनों को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के अनुपालन में अधिकारियों के साथ सहयोग करें और उनके लिए परमिट प्राप्त करें जो उन वाहनों पर प्रमुखता से प्रदर्शित होने चाहिए.

भाग 5: मतदान केंद्र

वोटरों के अतिरिक्त केवल वे ही व्यक्ति मतदान केंद्र के भीतर मान्य होंगे जिन्हें निर्वाचन आयोग द्वारा वैध पहचान पत्र प्रदत्त हो.

भाग 6: प्रेक्षक

चुनाव आयोग पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है. यदि उम्मीदवारों या उनके एजेंटों के पास चुनाव के संचालन के संबंध में कोई विशेष शिकायत या समस्या है, तो वे प्रेक्षक से कह सकते हैं अथवा इसका संज्ञान दे सकते हैं.

भाग 7: सत्ताधारी पार्टी

केंद्र या राज्यों में सत्ताधारी पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी शिकायत में वह अपनी शक्ति का प्रयोग चुनावी उद्देश्य से नहीं करेगी.

  1. (a) मंत्री अपनी आधिकारिक यात्रा और चुनावी यात्रा को एक नहीं कर सकते. अपने मंत्री पद का प्रयोग चुनाव में नहीं करें. (b) सरकारी विमान-सेवा, वाहन, मशीनरी और कर्मियों सहित सरकारी परिवहन का उपयोग सत्ताधारी पार्टी के हित में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.
  2. चुनावी सभाओं के आयोजन के लिए सार्वजनिक स्थानों और चुनावी उद्देश्य से हवाई-उड़ानों के लिए हेलीपैड का उपयोग का स्वयं पर एकाधिकार नहीं होगा. अन्य दलों और उम्मीदवारों को ऐसे स्थानों और सुविधाओं के उपयोग की अनुमति उन्हीं नियमों और शर्तों पर दी जाएगी, जो सत्ताधारी पार्टी पर लागू होते हैं.
  3. रेस्ट हाउस, अंधेरे बंगलों या अन्य सरकारी आवासों का सत्ताधारी पार्टी या उसके उम्मीदवारों पर एकाधिकार नहीं होगा.
  4. समाचार पत्रों और अन्य मीडिया में सरकारी खजाने की कीमत पर विज्ञापन जारी करना और राजनीतिक समाचार और प्रचार के पक्षपातपूर्ण कवरेज के लिए चुनाव अवधि के दौरान आधिकारिक जन मीडिया का दुरुपयोग सत्ताधारी पार्टी की उपलब्धियों के प्रचार हेतु किया जाना वर्जित है.
  5. मंत्री और अन्य अधिकारी चुनाव की तारीख की घोषणा के उपरांत विवेकाधीन धन में से अनुदान / भुगतान को मंजूरी नहीं देंगे.
  6. चुनावों की घोषणा के समय से आयोग, मंत्री और अन्य अधिकारी निम्न कार्य नहीं करेंगे:-
    • किसी भी रूप में किसी भी वित्तीय अनुदान की घोषणा या उसके वादे.
    • (Civil Servants को छोड़कर) किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या योजनाओं की आधारशिला.
    • सड़कों के निर्माण, पेयजल सुविधाओं के प्रावधान आदि का कोई वादा.
    • सरकारी या सावर्जनिक उपक्रमों में नियुक्तियां जो सत्ता में पार्टी के पक्ष में मतदाताओं को प्रभावित कर सकें.
    • केंद्र या राज्य सरकार के मंत्री उम्मीदवार अधिकृत एजेंट छोड़कर किसी भी मतदान केंद्र या मतगणना स्थल में प्रवेश नहीं करेंगे.

भाग 8: चुनावी घोषणा पत्र

  1. चुनाव घोषणा पत्र में वादों को RP Act की धारा 123 के तहत ‘भ्रष्ट व्यवहार’ के रूप में नहीं माना जा सकता है. किसी भी तरह का फ्री वितरण जो लोगों को प्रभावित करे, यह संविधान में वर्णित चुनाव की स्वतंत्रता व शुद्धता को बाधित करता है.
  2. चुनाव घोषणापत्र में संविधान में निहित आदर्शों और सिद्धांतों के लिए कुछ भी शामिल नहीं होगा. यह आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों के पत्र और भावना दोनों के अनुरूप होगा.
  3. घोषणा पत्र में पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए, वादों का औचित्य और मोटे तौर पर इन्हें पूर्ण करने के लिए वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के तरीकों और साधनों को इंगित करना आवश्यक है. मतदाताओं का विश्वास केवल उन वादों पर मांगा जाना चाहिए, जिन्हें पूरा किया जाना संभव है.

उपर्युक्त मॉडल चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का हिन्दी रूपांतरण है. आशा है कि किसी भी यह आचार संहिता को समझने में लाभदायक सिद्ध होगा. किसी भी त्रुटि या कमीं के लिए लेखक या वेबसाइट जिम्मेदार नहीं है. बाकी आपके सुझावों का स्वागत है, नीचे कमेंट करके अपने विचार अवश्य साझा करें.

उल्लंघन

आचार संहिता का उल्लंघन होने पर उस व्यक्ति से सम्बंधित पार्टी को चुनाव आयोग द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है. जिसके उत्तर में पार्टी को दिए गए समय के भीतर उस पर क्या कार्यवाही की गई, इसका विवरण प्रस्तुत करना होता है.

उल्लंघन की जांच करने के लिए चुनाव आयोग एक कमेटी भी गठित करता है. यद्यपि चुनाव आयोग के पास आचार संहिता के उल्लंघन करने वालों को दंडित करने का न्यायिक हथियार नहीं है.